जानिए सुहागरात यानि वेडिंग नाइट की सच्चाई क्या है?

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शादी की पहली रात को सुहागरात कहा जाता है। सुहागरात सभी की जिंदगी का एक अहम हिस्सा मानी जाती है। इस रात को लेकर लोगों के मन में कई तरह के प्रश्न होते हैं। इस रात में महिलाओं व पुरुषों दोनों में ही समान उत्सुकता रहती है। सामान्य तौर पर सुहागरात का मतलब नव दंपति का शारीरिक रूप से एक होना माना जाता है। लेकिन जिंदगी की इस खास रात को इतना ही समझ लेना गलत होगा। दरअसल शादी के बाद सुहागरात ही पति-पत्नी के नए जीवन की वह पहली रात होती है, जिसमें वह दोनों एक साथ होते हैं। बात उन दिनों की है जब एक दूसरे को शादी से पहले देख तो लेते थे, मगर अकेले मिलना नामुमकिन सा था । बस सुनी-सुनाई बातो से ही अपने जीवन साथी का मन में एक चित्र बना लेते थे और इसी बात का रोमांच होता था , रहस्य से पर्दा उठने का एक आकर्षण , संकोच और साथ ही किसी को अपना बना लेने की ललक, एक उन्माद सा मन में छाया रहता था।

what is suhagrat or wedding night truth
सुहागरात यानि वेडिंग नाइट की सच्चाई क्या है?

शादी के बाद दिन भर की गहमागहमी के बाद कमरे जाकर अपने जेवर उतार ही रही थी कि पीछे से आवाज आई,

हाथ सूने करके रात गुज़ारा न करो…..

खनकने दो कंगन, इन्हें उतारा न करो..

सकुचा कर उठी , पति को नितांत अकेले में पाकर, मन में थोड़ा संकोच , थोड़ी झिझक , समझ ही नहीं आया क्या बोलू , क्या कहू, तभी इन्होने रोमांटिक अंदाज़ में एक गीत और फेक दिया,

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लाज का वल्कल उतारो

प्यार का कँगन उजारो,

मत लजाओ पास आओ

ख़ुशबूओं में डूब जाओ,

प्यार के स्वर्णिम पल शुभे! रोज तो आते नहीं है।

कुछ सुझा नहीं तो बस कह दिया बहुत थक गई हू,

अरे, तो सो जाओ , किस बात कि चिंता है ,

मगरआपके वे स्वर्णिम पल ,

एक जोर से ठहाका गूंजा, अरे अब तो जीवन का हर पल स्वर्णिम पल है , तुम निश्चिन्त सो जाओ।

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थकी हुई तो थी, बस निढाल होकर पलंग पर गिर पड़ी ,आँख लगी ही थी कि,

रात आधी खींच कर मेरी हथेली

एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने।

एक बिजली छू गई सहसा बदन में ,

कृष्णपक्षी चाँद निकला था गगन में।

वो निशा का स्वप्न मेरा था कि अपने,

पर ग़ज़ब का था किया अधिकार तुमने।

बुझ नहीं पाया अभी तक उस समय जो

रख दिया था हाथ पर अंगार तुमने,

रात आधी खींच कर मेरी हथेली, एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने।

नींद तो अब उड़ चुकी थी , फिर भी आँख बंद कर सोने का नाटक करती रही, कि सहसा,

पलक पर वह स्नेह चुम्बन,

मिटा गया संकोच के क्षण

प्रेम की मदिरा में डूब कर,

मिट गए दो तन, एक मन में।

Source – डॉ. हरिवंशराय बच्चन एवं श्री नीरज कि कविताओं के कुछ अंश

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