भारत के ऐसे जासूस जिनकी कहानी सुन कर आपका सर शर्म से झुक जायेगा

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Shocking Story of Indian Spy Agent :

बात जासूसी की, जासूस यानि गुप्तचर, ये किसी भी देश की रिड की हड्डी होते है ये हमेशा खतरे में जीते है कब क्या हो जाये कुछ पता नहीं। जासूस के पास एक शार्प दिमाग और देश की मिट्टी का जूनून उन्हें हिम्मत देती है। ये सब कुछ अच्छा है बेहतरीन है सुनने में और पढ़ने में अच्छा लगता है पर ये गुमनाम गुप्तचर गुमनाम मर जाते है| और इनका परिवार जो देश की सरकार की जिम्मेदारी होती है! सत्ता के जोड़तोड़ में या दिखाबे में 24 घंटे रहती इनकी तरफ देखते भी नहीं और तमाशा नेताओं से चाहे कितना करवालो। मैं एक किताब पढ़ रहा था उसमे एक ज़िक्र जासूसी का आता है तो भारत के जासूस (Indian Spy Agent) के बारे जानने की इक्छा हुई|
तो कुछ के नाम देखे सर्च किये फिर उनकी फॅमिली हिस्ट्री और आज की हालत देखि. अफ़सोस बाद में हुआ पर हैरान हर पल हुआ निचे दिए कुछ नाम (Indian Jasoos) का ज़िक्र में करूँगा, लिस्ट तो उतनी लम्बी है की जंहा तक निगाह जाये ऐसा देश कभी सशक्त नहीं बन सकता।

कमल कुमार, ओम प्रकाश के बेटे :-

कमल कुमार, ओम प्रकाश के बेटे
कमल कुमार, ओम प्रकाश के बेटे

कमल कुमार बताते हैं कि उनके पिता, ओम प्रकाश 1998 में जासूसी करने पाकिस्तान गए थे. इस बारे में उन्हें तब पता लगा जब, ओम प्रकाश का एक ख़त, पाकिस्तानी जेल से उनके पास पहुंचा उसके बाद से ओम प्रकाश जेल से ही अपने परिवार को चिट्ठी भेजते रहते लेकिन उनकी आखरी चिट्ठी 14 जुलाई, 2014 को इंडिया पहुंची उसके बाद से ओम प्रकाश का कोई पता नहीं है कि वो ज़िंदा हैं कि नहीं

जसवंत सिंह, बलवीर सिंह के बेटे :-

जसवंत सिंह, बलवीर सिंह के बेटे
जसवंत सिंह, बलवीर सिंह के बेटे

जसवंत सिंह अपने पिता, बलवीर सिंह को इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं जिनकी मृत्यु 1.5 साल पहले हो चुकी है. बलवीर सिंह को 1971 में पाकिस्तान भेजा गया था और 1974 में उन्हें पकड़ लिया गया 12 साल जेल में रहने के बाद, बलवीर को 1986 में वापस भारत भेज दिया गया. अधिकारियों और एजेंसी से जब उन्हें कोई सहायता नहीं मिली तब उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया. 1986 में हाई कोर्ट ने उन्हें मुआवज़ा देने का आदेश सुनाया लेकिन आज तक वो मुआवज़ा, बलवीर सिंह के परिवार तक नहीं पहुंचा है

 

गुरबक्श राम :-

गुरबक्श राम
गुरबक्श राम

1988 में अपनी ट्रेनिंग ख़त्म होने के बाद गुरबक्श को पाकिस्तान भेजा गया. उसका काम पाकिस्तानी आर्मी के पास कौन-कौन से हथियार हैं, उसकी जानकारी इकट्ठा करना था. काम पूरा होने के 2 साल बाद वो वापस हिंदुस्तान आ रहे थे कि तभी पाकिस्तानी आर्मी ने उन्हें बॉर्डर पर पकड़ लिया. गुरबक्श को सियालकोट की गोरा जेल में पूछताछ के लिए ले जाया गया, जहां ढाई साल तक उनसे जानकारी निकालने की कोशिश की गयी. गुरबक्श ने जितने भी सबूत और ज़रूरी दस्तावेज़ इकट्ठा किये थे वो ज़ब्त कर लिए गए और उन्हें 14 साल के लिए जेल में डाल दिया गया. गुरबक्श 2006 में जेल से छूठ कर वापस इंडिया आये

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राम प्रकाश :-

राम प्रकाश
राम प्रकाश

एक साल तक फ़ोटोग्राफी में ट्रेनिंग लेने के बाद, 1994 में इंटेलिजेंस एजेंसी ने राम प्रकाश को जासूसी करने पाकिस्तान भेजा. 1997 में इंडिया वापस आते वक़्त, उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और सियालकोट की गोरा जेल में भेज दिया. एक साल वहां कैद में रहने के बाद 1998 में पाकिस्तानी अदालत ने उन्हें 10 साल की सज़ा सुनाई. 59 साल के राम प्रकाश बताते हैं कि पकड़े जाने से पहले उन्होंने 3 साल में करीब 75 बार बॉर्डर पार किया था. उन्हें 7 जुलाई, 2008 को वापस हिंदुस्तान भेज दिया गया