जानिए कारगिल युद्ध के ऐसे अद्भुत तथ्य जिन्हें अधिकतर लोग नहीं जानते!

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जानिए कारगिल युद्ध के ऐसे अद्भुत तथ्य जिन्हें अधिकतर लोग नहीं जानते! कुछ ऐसे तथ्य हैं कारगिल युद्ध के बारे में, जिनके बारे में बहुत कम चर्चा हुई, और हो सकता है आप ये पहली बार पढ़ रहे हों।

  • भारत कुछ ही मिनट दूर था पाकिस्तानी ठिकानों पर हवाई हमला करने से! ठिकानों की सूंची बना ली गयी थी, प्लान बना लिया गया था, पायलटों की बंदूकों में गोलिया भर दी गयी थी, उनको पाकिस्तानी रूपए तक दे दिए गए थे ताकि अगर वो पाकिस्तान में जा फसें तो कुछ मदद रहे।

ये 4 ठिकानें पाकिस्तान अधिकृत काश्मीर और रावलपिंडी में स्थित चकलाला एयरबेस था।

ये बात 12 जून, 1999 की सुबह की है। वार्ता विफल रही थी। कप्तान सौरभ कालिया की क्षत-वृक्षित शरीर भारतीय सेना को मिला था। इस बात की पूरी संभावना थी, और ये पूरी तरह से ज्ञात था कि बात बहुत आगे बढ़ सकती है और पूर्ण युद्ध हो सकता है, मगर इस प्लान पर काम हो रहा था।

facts of the kargil war that you do not know

13 जून सुबह 4:30 को सारे पायलट आ गए थे, और युद्ध के लिए तैयार थे। मगर ‘नहीं-जाना’ निष्पादन आदेश मिल गया और 12:30 को पायलट सामान्य मुद्रा पर लौट आये थे।

कुल मिलाकर 16 फाइटर जेट जाने थे. इनमे से 2 मिग-21 चकाला एयरबेस के रनवे पर बम गिराते, 2 मिग-21 फ़ोटो लेकर जांच-परख करते, और 4 मिग-29 आकाशीय प्रभुत्ता बनाए रखते।

जुलाई 1999 तक भारत ने काफी हद तक कारगिल और अन्य सेक्टर वापिस अपने कब्ज़े में कर लिए थे।

  • इजराइल ने तब सहायता करी, जब अधिकतर शक्तियां मुंह मोड़ चुकी थी : भारत के पास रस्ला बारूद कम पड़ रहा था तो उसने इजराइल से मांग करी। अमेरिका इजराइल को कह चुका था कि भारत की कोई सहायता नहीं करी जाय, मगर फिर भी इजराइल ने रस्ला बारूद भिजवा दिया।

भारत ने इजराइल के दिए हुए निगरानी के उपकरण भी बहुत सफलता से उपयोग करे। साथ ही लेज़र निर्देशित मिसाइल भी काफी उपयोग करी जिससे सटीकता से पाकिस्तानियों पर बम गिराए गए।

  • वायुसेना के जुगाड़ : जहाँ बम गिराने थे वो जगह समुद्र ताल से 14000-18000 फीट की उचाई पर थी, और वहां समझ में भी नहीं आता था कि पाकिस्तानी सैनिक कहाँ हैं। ऊपर से प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपयी जी का आदेश था कि किसी भी हालत नियंत्रण रेखा पार ना की जाए।

ऐसे में हाथ में पकड़े GPS से पायलट ठिकानों पर पहुचता था, और क्योंकि सीधे निशाना लगाना लगभग असंभव था, वो पहाड़ों पर निशाना लगाता था जिससे कि हिमस्खलन होता जिसमे घुसपैठिये मारे जाते।

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